2025 की पहली छमाही: तबाही, त्रासदी और तूफान
भारत वर्ष 2025 की पहली छमाही में एक के बाद एक त्रासदियों, प्राकृतिक आपदाओं और मानवजनित घटनाओं से गुज़रा। यह अवधि मानो देश के हर कोने को किसी न किसी रूप में चोट पहुँचा गई हो। कहीं आसमान से आफ़त बरसी, तो कहीं ज़मीन पर उथल-पुथल मची रही। यह लेख आपको जनवरी से जून 2025 तक भारत में हुई प्रमुख दुखद घटनाओं की एक कहानी की तरह व्याख्या करता है।
🌑 जनवरी 2025: साल की दर्दनाक शुरुआत
1 जनवरी, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) – नए साल का सूरज निकला तो एक भयावह घटना की खबर आई। ऑनर किलिंग के एक मामले में एक ही परिवार की पाँच महिलाओं की उनके ही रिश्तेदार द्वारा चाकू मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना न केवल समाज की सोच पर सवाल उठाती है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा पर भी गंभीर चिंता जताती है।
3 जनवरी, बीजापुर (छत्तीसगढ़) – पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ गई जब मुकेश चंद्राकर नामक पत्रकार का शव सेप्टिक टैंक में मिला। वह 1 जनवरी से लापता थे।
5 जनवरी, पोरबंदर (गुजरात) – कोस्ट गार्ड का एक HAL ध्रुव हेलिकॉप्टर रूटीन ट्रेनिंग के दौरान क्रैश हो गया, जिसमें तीन लोगों की मृत्यु हो गई।
6 जनवरी, बीजापुर – नक्सली हमले में बारूदी सुरंग से विस्फोट हुआ, जिसमें 9 लोगों की जान चली गई, जिनमें 8 पुलिसकर्मी थे।
6 जनवरी, असम – एक अवैध कोयला खदान में बाढ़ आ जाने से 9 मज़दूरों
की मौत हो गई। ये सभी गरीब तबके के परिवारों से थे जो रोटी की तलाश में मौत के मुंह में चले गए।
7 जनवरी, पूर्वोत्तर भारत और नेपाल – मेघालय के शिलॉन्ग में 6.0 तीव्रता का भूकंप आया, वहीं नेपाल में 7.1 तीव्रता का झटका महसूस किया गया। दिल्ली-NCR से लेकर बिहार और असम तक ज़मीन हिल उठी। सौभाग्यवश जानमाल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ, पर लोगों में दहशत फैल गई।
9 जनवरी, तिरुपति – प्रसिद्ध तिरुमला मंदिर में भगदड़ मचने से 6 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई।
22 जनवरी, जलगांव (महाराष्ट्र) – एक दुखद ट्रेन हादसे में, आग की अफवाह से घबराए 13 लोग पुष्पक एक्सप्रेस से कूद पड़े और दूसरी ट्रेन से कटकर मारे गए। 15 से अधिक लोग घायल हुए।
24 जनवरी, भंडारा (महाराष्ट्र) – एक आयुध निर्माण फैक्ट्री में विस्फोट हुआ जिसमें 8 कर्मचारियों की जान चली गई।
29 जनवरी, प्रयागराज – कुंभ मेले के दौरान तड़के सुबह भगदड़ मचने से कम से कम 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। यह घटना पुलिस प्रशासन की असावधानी को उजागर करती है।
⚔️ फरवरी–मार्च 2025: कंपन, हिंसा और ग़लतफ़हमी
फरवरी – राजस्थान (बीकानेर, जैसलमेर) और हिमाचल प्रदेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि इनसे जान का नुकसान नहीं हुआ, पर इमारतों में दरारें आ गईं।
17 मार्च, नागपुर (महाराष्ट्र) – औरंगज़ेब की कब्र को हटाने के प्रस्ताव पर विवाद इतना बढ़ा कि सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। एक व्यक्ति की मौत हो गई और 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। यह घटना बताती है कि धार्मिक मुद्दे अब भी कितना संवेदनशील हैं।
💥 अप्रैल 2025: धमाके और धूल भरी आंधियाँ
1 अप्रैल, दीसा (गुजरात) – दीपक फटकड़ा नामक आतिशबाजी फैक्ट्री में विस्फोट हुआ जिसमें 21 लोगों की जान गई। मृतकों में 7 मासूम बच्चे भी थे। फैक्ट्री बिना लाइसेंस के चल रही थी।
अप्रैल (उत्तर प्रदेश, बिहार) – आंधी, तूफान और बिजली गिरने की घटनाओं ने 80 से अधिक लोगों की जान ली। दिल्ली में भी तेज़ धूल भरी आंधी से 2 मौतें हुईं।
🌧️ मई–जून 2025: बारिश की बरबादी
26 मई, असम, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय – चक्रवात “रेमाल” के प्रभाव से पूर्वोत्तर भारत में बाढ़, भूस्खलन और तेज़ हवाओं से तबाही मच गई। 22 लोगों की जान गई। सड़कों और पुलों को भारी नुकसान पहुँचा।
अंत मई – प्रारंभ जून – पूर्वोत्तर राज्यों में हालात और बिगड़े। करीब 5.5 लाख लोग प्रभावित हुए और 36 से अधिक मौतें दर्ज की गईं।
गुजरात – मानसून की शुरुआत होते ही 24 मौतें हुईं, जिनमें से 11 बिजली गिरने से हुईं।
महाराष्ट्र – 18 लोग मारे गए और 65 घायल हुए।
5 जून, पुणे एयरपोर्ट – पक्षियों की मौजूदगी के कारण उड़ानों में देरी हुई, कुछ रद्द भी हुईं। विमानन सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए।
✈️ जून मध्य 2025: विमान हादसा और पुल टूटना
12 जून, अहमदाबाद (गुजरात) – एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 (Boeing 787) टेकऑफ के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें 230 यात्री और 12 क्रू सदस्य सवार थे, सभी की मौत हो गई। यह हादसा पूरे देश में शोक की लहर ले आया।
12 जून, उत्तराखंड – तीर्थयात्रियों को ले जा रहा एक हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ, जिसमें 7 यात्रियों की जान चली गई।
15 जून, पुणे (महाराष्ट्र) – इंद्रायणी नदी पर बना 30 साल पुराना कुंडमाला पैदल पुल भारी बारिश में बह गया। 2–4 लोगों की मौत और 32 से अधिक घायल हुए।
15 जून, शिवसागर (असम) – ONGC के गैस वेल में ब्लोआउट हुआ, 350 परिवारों को निकाला गया। अभी तक गैस रिसाव जारी है।
2025 की पहली छमाही भारत के लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण रही:
- प्राकृतिक आपदाएं: बाढ़, भूकंप, तूफान, चक्रवात, बिजली गिरना
- दुर्घटनाएँ: विमान और हेलिकॉप्टर क्रैश, फैक्ट्री धमाके, पुल ढहना
- मानवजनित त्रासदी: साम्प्रदायिक हिंसा, नक्सली हमला, ऑनर किलिंग, भगदड़
इन सभी घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि भारत को केवल प्राकृतिक आपदाओं से ही नहीं, बल्कि अव्यवस्था, लापरवाही, और सामाजिक असंतुलन से भी निपटना होगा।
आगे का समय कैसा होगा ये तो नहीं पता, लेकिन 2025 की शुरुआत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। यह समय है सीख लेने का, सुधार करने का और भविष्य के लिए सतर्क रहने का।